राष्ट्रीय बालिका दिवस 2023 जानें इतिहास, महत्व और थीम | National Girl Children Day 2023 Theme, History & Significance In Hindi

राष्ट्रीय बालिका दिवस भारत में प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2008 में महिला और बाल विकास मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा भारतीय समाज में लड़कियों के सामने आने वाली असमानताओं के बारे में जन जागरूकता फैलाने के लिए की गई थी।आज की पोस्ट में हम राष्ट्रीय बालिका दिवस के महत्व पर प्रकाश डालेंगे साथ ही आपको इस वर्ष की थीम, भाषण.इतिहास से परिचित कराएंगे।
जीने का उसको भी अधिकार,चाहिए उसे थोडा सा प्यार।जन्म से पहले न उसे मारो,कभी तो अपने मन में विचारो।शायद वही बन जाए सहारा,डूबते को मिल जाए किनारा॥
National Girl Children Day 2023
National Girls Children Day 2023 Theme, History and Significance

राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) भारत में हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है. समाज में समानता लाने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत की थी। इस अभियान का उद्देश्य लड़कियों को जागरूक करना है. इसके साथ ही लोगों को यह बताना है कि समाज के निर्माण में महिलाओं का समान योगदान है. इसकी शुरुआत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने साल 2008 में की थी. आज के दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें सेव द गर्ल चाइल्ड, चाइल्ड सेक्स रेश्यो और बालिकाओं के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षित वातावरण बनाने सहित जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं. ज्ञात हो कि आज के ही दिन (24 जनवरी) साल 1966 में इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. इस वर्ष भारत में 15वां राष्ट्रीय बालिका दिवस 2023 मनाया जा रहा है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम 2023| National Girl Child Day Theme 2023
हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम अलग-अलग रखी जाती है. जहां वर्ष 2021 में बालिका दिवस साल थीम ‘डिजिटल पीढ़ी, हमारी पीढ़ी’ थी. साल 2020 में बालिका दिवस की थीम ‘मेरी आवाज, हमारा समान भविष्य’ थी, लेकिन इस वर्ष 2023 के राष्ट्रीय बालिका दिवस पर अब तक फिलहाल किसी थीम की घोषणा नहीं हुई है। बता दें कि राष्ट्रीय बालिका दिवस महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक पहल है.
National Girls Children Day 2023 Main Objective। राष्ट्रीय बालिका दिवस 2023 के मुख्य उद्देश्य
- समाज में समानता लाने के लिए भारत सरकार ने नेशनल गर्ल चाइल्ड डे की शुरुआत की थी।
- बालिका दिवस को मनाने का सबसे बड़ा कारण समाज में लोगों को बेटियों के प्रति जागरूक करना है। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना कि हर लड़की को मानवीय अधिकार मिले. इसके अलावा लैंगिक असमानता को लेकर जागरूकता पैदा करना है।
- महिलाओं को समाज में जिन असमानताओं का सामना करना पड़ता है, उन सभी से छुटकारा मिले. समाज में बालिकाओं के साथ होने वाले भेदभाव के बारे में देश की बेटियों के साथ ही सभी लोगों को जागरूक करना है.
National Girl Children Day 2023 । 24 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस ।
हर साल 24 जनवरी को बालिका दिवस के तौर पर मनाने की एक खास वजह है. यह वजह इंदिरा गांधी से जुड़ी हुई है. साल 1966 में इंदिरा गांधी ने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. भारत के इतिहास और महिलाओं के सशक्तिकरण में 24 जनवरी का दिन महत्वपूर्ण है।
National Girl Children Day 2023 Speech in Hindi । राष्ट्रीय बालिका दिवस 2023 भाषण हिंदी में।
आज बालिका हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है लेकिन आज भी वह अनेक कुरीतियों का शिकार हैं। ये कुरीतियों उसके आगे बढ़ने में बाधाएँ उत्पन्न करती है। पढ़े-लिखे लोग और जागरूक समाज भी इस समस्या से अछूता नहीं है। आज हज़ारों लड़कियों को जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है या जन्म लेते ही लावारिस छोड़ दिया जाता है। आज भी समाज में कई घर ऐसे हैं, जहाँ बेटियों को बेटों की तरह अच्छा खाना और अच्छी शिक्षा नहीं दी जा रही है। भारत में 20 से 24 साल की शादीशुदा औरतों में से 44.5 प्रतिशत (क़रीब आधी) औरतें ऐसी हैं, जिनकी शादियाँ 18 साल के पहले हुईं हैं। इन 20 से 24 साल की शादीशुदा औरतों में से 22 प्रतिशत (क़रीब एक चौथाई) औरतें ऐसी हैं, जो 18 साल के पहले माँ बनी हैं। इन कम उम्र की लड़कियों से 73 प्रतिशत (सबसे ज़्यादा) बच्चे पैदा हुए हैं। इन बच्चों में 67 प्रतिशत (दो-तिहाई) कुपोषण के शिकार हैं।
National Girl Children Day 2023। के महत्व को समझने के लिए कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलू
हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मो की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट आई है। 2001 की जनगणना का यह तथ्य सबसे ज़्यादा हैरान करता है कि 0 से 6 साल के बच्चों के लिंग अनुपात में भी भारी गिरावट आई है। यहाँ कुल लिंग अनुपात में 8 के अंतर के मुक़ाबले बच्चों के लिंग अनुपात में अब 24 का अंतर दर्ज है। यह उनके स्वास्थ्य और जीवन-स्तर में गिरावट का अनुपात भी है। यह अंतर भयावह भविष्य की ओर भी इशारा करता है। एशिया महाद्वीप में भारत की महिला साक्षरता दर सबसे कम है। गौरतलब है कि ‘नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रंस राइट्स’ यानी एनसीपीसीआर की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में 6 से 14 साल तक की ज़्यादातर लड़कियों को हर दिन औसतन 8 घंटे से भी ज़्यादा समय केवल अपने घर के छोटे बच्चों को संभालने में बिताना पड़ता है। इसी तरह, सरकारी आँकड़ों में दर्शाया गया है कि 6 से 10 साल की जहाँ 25 प्रतिशत लड़कियों को स्कूल छोड़ना पड़ता है, वहीं 10 से 13 साल की 50 प्रतिशत (ठीक दोगुनी) से भी ज़्यादा लड़कियों को स्कूल छोड़ना पड़ता है। 2008 के एक सरकारी सर्वेक्षण में 42 प्रतिशत लड़कियों ने यह बताया कि वे स्कूल इसलिए छोड़ देती हैं, क्योंकि उनके माता-पिता उन्हें घर संभालने और अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल करने को कहते हैं। लोगों को इसके दुष्परिणामों के प्रति आगाह करने और लड़कियों को बचाने के लिए 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
National Girl Children Day 2023 । राष्ट्रीय बालिका दिवस के दिन को सार्थक बनाने के लिए किए जा सकने वाले आवश्यक प्रयास।
राष्ट्रीय बालिका दिवस के दिन हमें लड़का-लड़की में भेद नहीं करने व समाज के लोगों को लिंग समानता के बारे में जागरूक करने की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए। देश में लड़कियों की घटती संख्या को देखते हुए ही राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाने लगा है।
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बेटी कुदरत का उपहार नहीं करो उसका तिरस्कार जो बेटी को दे पहचान माता-पिता वही महान
National Girl Children Day 2023