History Important Questions in Hindi । Education Mentor

History Important Questions in Hindi
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारी एक नए ब्लॉग में आज का जो हमारा विषय है इतिहास से संबंधित है। आज हम चर्चा करेंगे मगध व मौर्य साम्राज्य के विषय में। इनसे जुड़े विभिन्न शासकों विभिन्न घटनाओं, महाजनपदों आदि विषयों पर हम आज चर्चा करेंगे।
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मगध साम्राज्य की राजधानी राजगाह थी इसे बाद में पाटलिपुत्र जिसे आधुनिक पटना कहा जाता है को स्थानांतरित किया गया था।
मगध साम्राज्य के विस्तार में लोहे के विशाल भंडार ने निसंदेह प्रशंसनीय योगदान दिया था लोहे के कारण ही ये लोग बढ़िया किस्म के हथियार का निर्माण कर अपनी सामरिक शक्ति को मजबूत कर पाए थे।
बिंबिसार मगध का एक प्रसिद्ध शासक था उसने 544 ईसवी पूर्व से 492 ईसवी पूर्व तक शासन किया था।
इंडिका के रचयिता मेगस्थनीज को माना जाता है उससे सेल्यूकस निकेटर ने चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था।
मेगस्थनीज की इंडिका हमें चंद्रगुप्त मौर्य के शासन काल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराती है l
चंद्रगुप्त मौर्य का प्रधानमंत्री कौटिल्य जिन्हें विष्णुगुप्त चाणक्य भी कहा जाता था। इन्होंने अर्थशास्त्र नामक पुस्तक लिखी थी।
मुद्राराक्षस एक विख्यात नाटक है इसके लेखक विशाखदत्त को माना जाता है। इस पुस्तक में हमें नंद वंश के पतन और मौर्य साम्राज्य की स्थापना से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।
मौर्य साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने 321 ईसवी पूर्व में की थी।
अशोक का राज्यअभिषेक 269 ईसवी पूर्व में हुआ था। इन्होंने 231 ईसवी पूर्व तक शासन किया था।
अशोक के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना कलिंग पर किए गए उनके आक्रमण को माना जाता है। अशोक ने कलिंग पर आक्रमण 261 ईसवी पूर्व में अपने साम्राज्य का विस्तार करने के उद्देश्य से किया था।
कलिंग पर विजय प्राप्त करने के पश्चात युद्ध के दौरान हुए खून खराबे से हताश होकर उन्होंने युद्ध नीति का त्याग करने का फैसला ले लिया था जिसके परिणाम स्वरूप मौर्यकालीन सत्ता कमजोर पड़ गई थी।
कलिंग आक्रमण के पश्चात अशोक ने बौद्ध धर्म को स्वीकार किया था तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए उन्होंने स्तूपो का निर्माण करवाया था। (History)
अशोक ने अनेकों अभिलेख खुदवाए थे जिनमें अधिकांश अभिलेख ब्राह्मी लिपि में लिखे गए थे।
ब्राह्मी लिपि को पढ़ने का श्रेय सर्वप्रथम ईस्ट इंडिया कंपनी के ब्रिटिश अधिकारी जेम्स प्रिंसेप को माना जाता है इनके द्वारा 1838 ईस्वी में इसे पढ़ने में सफलता प्राप्त हुई थी।
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