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Russia Ukraine Conflict : पूर्वी यूक्रेन के खार्किव शहर में सिलसिलेवार कई धमाके, आसमान में छाया काला धुआं जाने पूरी खबर

Russia Ukraine Conflict आसमान में तेज रोशनी के साथ धुएं के गुबार छा गए। एक के बाद एक कई विस्फोट हुए। शुरुआती रिपोर्ट में अभी हताहतों की कोई जानकारी नहीं है। यह धमाके रूस की सेना द्वारा किए गए हैं।

यूक्रेन के पूर्वी शहर खार्किव में शनिवार तड़के सिलसिलेवार धमाके हुए। आसमान में तेज रोशनी के साथ धुएं के गुबार छा गए। एक के बाद एक कई विस्फोट हुए। शुरुआती रिपोर्ट में अभी हताहतों की कोई जानकारी नहीं है। यह धमाके रूस की सेना द्वारा किए गए हैं।धमाकों के कुछ घंटे पहले रूस ने यूक्रेन के उन क्षेत्रों पर भी हमले तेज कर दिए है। जहां उसने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। दक्षिणी शहर जापोरिज्जिया में अपार्टमेंट इमारतों पर पहले हुए मिसाइल हमलों से मरने वालों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है।

धमाकों के कुछ घंटे पहले रूस ने यूक्रेन के उन क्षेत्रों पर भी हमले तेज कर दिए है। जहां उसने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। दक्षिणी शहर जापोरिज्जिया में अपार्टमेंट इमारतों पर पहले हुए मिसाइल हमलों से मरने वालों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है।

Russia-Ukraine War : यूक्रेनी शहर खार्कीव पर क्‍यों है रूसी सेना की नजर? रूस के लिए क्‍यों खास है ये क्षेत्र

यूक्रेन के खार्कीव इलाके से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर रूसी सेना की दिलचस्‍पी खार्कीव में क्‍यों है। खार्कीव का इलाका रूसी सेना के लिए क्‍यों महत्‍वपूर्ण है। आइए जानते हैं कि इस पर विशेषज्ञों की क्‍या राय है।

  • विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि रूसी सेना ने एक रणनीति के तहत खार्कीव पर कब्‍जे का प्‍लान बनाया है। उन्‍होंने कहा कि रूस की ओर से खार्कीव को निशाने पर लेने की कई वजहें हैं। प्रो पंत ने कहा कि पहले रूस कीव को लक्ष्य बनाकर यूक्रेन में घुसा था, लेकिन रूस को कीव में खास सफलता नहीं मिली। रूस का मंसूबा है कि जल्द से जल्द किसी एक बड़े शहर पर कब्जा कर यूक्रेन पर दबाव बना सके। रूसी सेना कीव में नाकाम रही तो अब खार्कीव को निशाना बनाया जा रहा है। इसलिए अब रूसी सेना तेजी से खार्कीव की ओर बढ़ रही है। उसने यहां मिसाइल हमले भी शुरू कर दिए हैं।
  • उन्‍होंने कहा कि खार्कीव यूक्रेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। पहले स्थान पर यूक्रेन की राजधानी कीव है। इतना ही नहीं खार्कीव के महत्‍व को इस तरह से समझा जा सकता है कि सोवियत संघ के वक्त यह पहली राजधानी थी, लेकिन बाद में कीव को राजधानी बना दिया गया। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी इस शहर ने अहम भूमिका निभाई थी और यह सोवियत संघ और नाजी जर्मन सेना के बीच केंद्र बना था। खार्कीव में रूसी लोगों की काफी संख्या है। यह रूस की सीमा से ज्यादा दूर नहीं है।
  • युद्ध से पहले माना जा रहा था रूस को खार्कीव और इसके आस-पास के इलाकों पर कब्जा करने में ज्यादा मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा, हालांकि, रूसी सेना ऐसा करने में नाकाम रही। जंग में यूक्रेनी सेना रूसी सेना को जबरदस्त टक्कर दे रही है। खार्कीव रूस की सीमा से सटा हुआ है। रूस से इसकी दूरी महज 40 किलोमीटर है। खार्कीव हमेशा संस्कृति, कला और संगीत के लिए मशहूर रहा है। कई मेडिकल कालेज होने के साथ ही यहां कई आईटी फर्म भी हैं। इसी वजह से यहां विदेशी लोगों की संख्या अच्छी खासी है।
  • इसकी एक अन्‍य वजह भी है। रूसी सेना को खार्कीव को कब्जे में लेना आसान लग रहा है, क्योंकि यह पूर्वी यूक्रेन का हिस्सा है, जहां बड़ी संख्या में रूस समर्थक लोग रहते हैं। ऐसे में रूसी सेना को यहां की जनता का भी साथ मिल सकता है। स्वतंत्र यूक्रेन के लिए होने वाले पहले विद्रोह को उस समय की सोवियत सेनाओं ने खार्कीव में ही कुचला था। साल 1920 से 1934 तक यूक्रेनी सोवियत गणराज्य की राजधानी खार्कीव रहा था, इसलिए रूस के लिए खार्कीव का एक ऐतिहासिक महत्व भी है।

आइए जानते हैं रूसी सेना का दावा

उधर, रूसी सेना का कहना पूर्वी यूक्रेन के एक हिस्से डोनबास को मुक्त कराने के लिए विशेष सैन्य अभियान की खातिर यह कदम उठाया गया है। रूस इस क्षेत्र पर अपना अधिकार होने का दावा करता है। खार्कीव इलाके से सैनिकों को वापस बुलाने और दोनेस्क में फिर से उन्हें तैनात करने के पीछे रूस ने उसी तरह का कारण बताया है, जैसा कि इस साल की शुरुआत में कीव से सैनिक बुलाते समय बताया था। डोनबास में अलगाववादी गणराज्य के क्रेमलिन समर्थित नेता ने कहा कि रूसी सेना और यूक्रेन के बीच भयंकर लड़ाई हुई थी।

डेनिस पुशिलिन ने कहा कि डोनेट्स्क क्षेत्र के लाइमन शहर में स्थिति बहुत कठिन थी और विशेष रूप से क्षेत्र के उत्तरी भाग में कई अन्य इलाकों में भी लड़ाई चल रही थी। उन्होंने कहा कि हमारे पास डोनबास को रखने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है और हम सफल होंगे। हम निश्चित रूप से जीतेंगे। उन्होंने आगे कहा कि युद्ध से पहले इस इलाके में लगभग 20,000 से भी अधिक लोग रहते थे। मई में रूसी सेना ने इसको अपने कब्जे में ले लिया था।

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